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Showing posts from December, 2022

बदलता सच यह कविता संतोषी देवी द्वारा लिखी गई है

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                          संतोषी देवी बदलता सच झूठे सच्चे दांव,यहाँ चलते हैं। हर पल में विश्वास,यहाँ छलते हैं।। कपटी बक ही पाठ,ध्यान का गाते। हंसा सज्जन हाथ,यहाँ मलते हैं।। गोदामों में माल,भरे बस कैसे। नीति नियम सच दाम,यहाँ टलते हैं।। किसे पड़े क्या फर्क,साधना निज हित। भूखे मन अरमान,यहाँ जलते हैं।। कल्मष बैठा रोज,चैन की सोचें। ये पुण्य फल प्रताप,यहाँ ढलते  हैं।। हुआ देखना पाप,स्वप्न बेबस का। झूठे जन मक्कार,यहाँ पलते हैं।। शानों-शौकत देख,झूठ से यारी। सच्चे मन के यार,यहाँ खलते हैं।। कब तक चलते घाघ,अंत तो होना। नेकी के प्रभुभोज,यहाँ फलते हैं।।   संतोषी देवी ******************************************                       एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (बतौर संकलक) के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आप इस नंबर पर (6203124315) सन्देश भे...

अधूरी दास्तां यह कविता राखी देब द्वारा लिखी गई है

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                         राखी देब अधूरी दास्तां  शब्द ध्वनित हो रहें,मन मे तरंग उठ रहे। लाज मेरे मन की , अनकहे ही रह गये।। आंख है अश्रुपूरित, होकर आज वो विचलित। भाव मेरे मन के , आंसुओं में बह गए।। फिर मैं अधूरी रह गई,करके मैं सोलह श्रृंगार। जो ख्वाब देखे थे कभी,टूट गये फिर नहीं जुड़े।। जो स्वप्न मैंने सजाए थे,आज वो बिखर गए। उन अधूरे स्वप्नों पर, क्यूं धूल वक्त के पड़ गये।। वक्त की ख़ामोशियां ही, आज सब कह गए। जो नहीं थे मेरे कभी,आज मेरे कैसे वो बने।। शिकन मेरे माथे की ,मिट सकीं ना फिर कभी। माॅंग जो भर गई, कैसे मिटाऊं इसे अभी।। यहीं तो तेरा भाग्य था, जो वक्त ने था कहा कभी। टूटा मेरा दिल था ,बस और कुछ न था कभी।। अधूरी रह गई दास्तां,नहीं कभी कोई सुना। बात दिल की दिल में ही , दफ़न होके रह गई।। राखी देब ******************************************                           एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं...

हमसफ़र यह कविता रश्मि मृदुलिका द्वारा लिखी गई है

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                         रश्मि मृदुलिका विषय- हमसफ़र जिंदगी के पन्नों को फिर पढ़ते है तस्वीरें अब धुंधली पड़ रही है, चलें खुद की तलाश में हमसफ़र शायरी फिर तुम्हें ढूंढ रही है, दरख़्त सूख रहें है अपनी जमीन पर नमी भावों की सिक्ता बन रही है चलें बारिशों के जहाँ में हमसफ़र तृषित हृदय तुम्हें पुकारता  है किस लिए रूकना है तुझे बैरागी मोह क्यों तुझ पर भारी है कोई नहीं है जो राह तकता हो हमसफ़र किसलिए व्याकुल तेरा मन हारी है ये कौन है जो आवाजें देता है तुझे सदायें सी कुछ सुनाई दे रही है दिखता कुछ तुझ जैसा ही हूबहू साथ चलती उजालों में भी परछाईं सी है रश्मि मृदुलिका ******************************************                         एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (बतौर संकलक) के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आप इस नंबर पर (6203124315) सन्दे...

मां भारती का लाल यह कविता विभा जैन द्वारा लिखी गई है

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                                विभा जैन  नमन मंच 🙏 देशभक्त शीर्षक-मां भारती का लाल मां का हृदय गद - गद हो गया आज। दो साल रधू पोंछ रहा मां के आंसू, करती है मां नाज।। बेटा पढ़ लिख,तू बनना भारत का भविष्य। तूं ही है मेरा जिगर का टुकड़ा, मेरे आंचल में है तूं सुरक्षित।। आचार,विचार,संस्कार दे ,मां भारत मां को तूं कर रहीं समर्पित। आतंकवाद के खिलाफ मैं लड़ूंगा, पिता के कातिलों को भारत मां के चरणों में करूंगा अर्पित।। मेरी मां को मिलेगा सम्मान, तेरा बेटा आतंक के खिलाफ लड़ा अंत तक। तिरंगा बनेगा मेरा कफ़न, सलामी दूंगा मां मैं तुम्हें,क़ब्र तक।। भारत मां का कर्ज चुका,जय- जय भारत गायेगा ,भारत मां का लाल। होगा गर्व से ऊंचा, मां तेरा भाल।। विभा जैन (ओज्स) इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************                           एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम ...

हर घर तिरंगा " यह कविता निवेदिता सिन्हा द्वारा लिखी गई है

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                         निवेदिता सिन्हा #विधा  कविता #विषय " हर घर तिरंगा " भारत देश हमारा । है हम सभी को जान  से प्यारा । तिरंगा है शान हमारी, इसके आन हेतु कुर्बान जान हमारी ॥ आजादी के हो रहे अब75साल पूरे ॥ मची है अब धूम देश में पूरे। मना रहें हम सभी आजादी अमृत महोत्सव । इस दिन दिखाने हेतु,  कुर्बान देश के हर शहीद की पहले बोलों जय ॥ भारत माँ के हर उस लाल की बोलो जय , जिससे कभी ना तिरंगा झुकने दिया I थामे रहे आखरी साँस तक तिरंगा । लहु का कतरा -कतरा देश के नाम किया । अब हर घर तिरंगा फहरायेंगा घर घर का हर बच्चा शान तिरंगा की बढायेगा ॥ जय हिन्द जय भारत निवेदिता सिन्हा भागलपुर,बिहार 7008709280 binnynivedita4@gmail.com ******************************************                           एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (...

नागरी लिपि हिन्दी यह कविता डॉ रमेश कटारिया पारस ग्वालियर मध्य प्रदेश द्वारा लिखा गया है

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             डॉ रमेश कटारिया पारस ग्वालियर मध्य प्रदेश नागरी लिपि हिन्दी  ये संस्कृत की पुत्री है ये सब भाषाओं की माता है  लिपि नागरी के चरणों में हर कोई शीश झुकाता है  बंगला मराठी और गुजराती एक जैसे ही लिखते हैं  इन भाषाओं के अक्षर एक जैसे ही दिखते हैं  ये नागरी लिपि वैज्ञानिक है विज्ञान से इसका नाता है  लिपि नागरी के चरणों में हर कोई शीश नवाता है  सब भाषाएं संस्कृत से निकली सब की सुंदरता है अलग अलग  कुछ भाषाएं खुद को इससे कर लेती हैं अलग थलग  लेकिन अंदर से इन सबका इसी लिपि से नाता है  लिपि नागरी के चरणों में हर कोई शीश झुकाता है  जो कहते हैं वही बोलते और वही हम लिखते हैं  हर भाषा के अक्षर पारस इसी लिपि से निकले हैं  नागरी लिपि को नमन करो तो सर खुद ही झुक जाता है  लिपि नागरी के चरणों में हर कोई शीश झुकाता है  डॉ रमेश कटारिया पारस ग्वालियर मध्य प्रदेश ******************************************                       एम एस केश...

**गांव का परिदृश्य*_ यह कविता खेमपाल सिंह द्वारा लिखा गया हैं

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                              खेमपाल सिंह _**गांव का परिदृश्य*_  प्यारा सा है गांव मेरा गांव में है एक गलियारा गलियारे में खेले बच्चे लगते कितने प्यारे अच्छे प्यारा सा है गांव मेरा गांव में है एक ...... दूर नजर जब मेरी जाती, दिखता है एक सुंदर विद्यालय विद्यालय में बच्चे पढ़ते लगते कितने प्यारे अच्छे प्यारा सा है गांव मेरा  गांव में है एक ...... गांव में एक पंचायत घर उस घर में मुखिया जी बैठें समस्याओं  पर चर्चा होती   फिर होता उनका निस्तारण प्यारा सा है गांव मेरा  गांव में है एक ..... गांव में है एक सुंदर  उपवन में हरियाली है  गांव में खुशहाली है  प्यारा सा है गांव मेरा गांव में है एक ......... खेमपाल सिंह शिक्षक जनपद पीलीभीत  उत्तर प्रदेश शिक्षा-MA अर्थशास्त्र शिक्षा शास्त्र, M.Ed, बीटीसी पद- सहायक अध्यापक  कम्पोजिट विद्यालय भंगा मोहम्मद गंज विकास क्षेत्र अमरिया जनपद पीलीभीत  बेसिक शिक्षा परिषद पीलीभीत पिता का नाम-श्री दीनदयाल  माता का नाम- पूजनीय श...

मां की याद यह कविता बालशुक अमन कृष्ण शास्त्री लिखा गया हैं

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                       बालशुक अमन कृष्ण शास्त्री मां की याद दूर मैं तुझसे जरुर हूं मां। पर याद तेरी बहुत आती है मां।। हर पल तेरे बारे में सोचता रहता हूं। मुझसे मिलने को तरस रहा हूं मैं मां।। बहुत याद आती है मां।। तेरे हाथ का वो खाना। तेरी वो प्यारी सी डांट मां।। प्यार से तेरा वो समझाना। और मेरा रुठकर कहीं छिप जाना।। बहुत याद आती है मां।। खाना मुझे पहले खिलाकर। बाद में बचा हुआ तू खाती थी मां।। जब मैं तुझे खाने को कहता। मैं खा लूंगी बेटा तेरा वो कहना मां।। बहुत याद आती है मां।। बीमार जब मैं कभी हो जाता। तंत्र मंत्र तेरा वो करना मां।। मुझे ठीक करने का तेरा वो हर प्रयास मां। मुझे बहुत याद आता मां।। बहुत याद आती है मां।। बालशुक अमन कृष्ण शास्त्री ******************************************                         एम एस केशरी प्रकाशन   यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर ...

गौ माता वंदना यह कविता डॉ अर्चना श्रेया द्वारा लिखा गई है

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                            डॉ अर्चना श्रेया गौ माता वंदना ऋषि-मुनियों ने गुण गाई। हम सबकी माता  कहाई। अर्चना कर हम उतारे आरती जय गौ माता 2 जय जय गौ माता रोम से जीवनदायिनी ऑक्सीजन देती। दुग्ध गुणकारी देकर हर बालक को पालती। गौरी के नेत्र में सूर्य चंद्र विराजती । सींग में विष्णु ,महेश मस्तक में ब्रह्मा बिठाती । अर्चना............. नंदनी कहलाती कपिला कहाती। अदिति, सुरभि यजुर्वेद पुकारती। गोबर रूपी अमृत सभी को देती। गुणगान करें मिल सब भारती। अर्चना................. मुरली धरैया की सखा बनती। कामधेनु को जगत पूजती। अंग में 33 कोटि देवता बसाती। गौ माता के चरणों में श्रेया मस्तक झुकाती। अर्चना........   चिंतक हिंदी साहित्यकार        डॉ अर्चना श्रेया ******************************************                         एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित ...

मुकम्मल मेरा ये इश्क हो जाये यह कविता ऋतु अग्रवाल लिखी गई है

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                             ऋतु अग्रवाल मुकम्मल मेरा ये इश्क हो जाये  तू मुझे मिले अब की दफा ऐसे  कि एक बार फिर मुझे प्यार हो जाये, परवाना जल कर फना हो जाये शमा पर ऐसे  कि मुकम्मल मेरा यह इश्क हो जाये।  जो बितायी रैना आँखों में मैंने भीगा तकिया रात की कहानी कह जाये, तू संभाल ले मेरी पलकों के मोती ऐसे  कि मुकम्मल मेरा ये इश्क हो जाये।  जो बीते पल बैठ तन्हा अकेले, मैंने तेरी याद में पलक पावडे बिछाये, तू आये और चूम ले मेरी पेशानी ऐसे  कि मुकम्मल मेरा ये इश्क हो जाये।  इंतजार बड़ा बेदर्दी है जीने कहाँ देता है  तू करके देख! शायद समझ जाये, तू आये और भरले अपनी बाहों में मुझे ऐसे  कि मुकम्मल मेरा ये इश्क हो जाये।  मौलिक सृजन  ऋतु अग्रवाल मेरठ ******************************************                        एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी ...

*महँगाई की मार* यह कविता रामभरोस टोण्डे लिखा गया हैं

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                            रामभरोस टोण्डे  *महँगाई की मार* दर्द किसे बताएं अपना,  सबका बुरा हाल हैं।  महँगाई की मार,  जीना हुआ बेहाल ।  क्यों सब मौन हैं,  कोई कुछ नहीं बोलता।  लाचार क्यों बैठे हो ,  महँगाई की मार से।  भ्रष्टाचार को मिटाने वाला ,  खुद तो लाचार हैं।  कैसे बोलेगा अब,  महँगाई छू रहा हैं आसमान।  गरीब का सुनने वाला ,  नहीं हैं कोई अब ।  सब अपनी जेब,  भरने में लगे हैं।  महँगाई नजर नहीं आता,  किसी को एहसास कैसे दिलाये।  महँगाई की मार से ,  जीना हुआ बेहाल।  झोपड़ी में रहने वाला ,  गरीब का नहींं हैं सुनने वाला।  मेहनत करने वाले गरीब के पैसे से,  आलीशान महलों पर अमीर कर रहे हैं राज।  रामभरोस टोण्डे , अधिवक्ता  बिलासपुर , छत्तीसगढ़ ******************************************                       एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सो...

समीउल्लाह खान द्वारा लिखा गया है

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 तुम जो ढूंढ रहे हो           वो तुम्हें ही ढूंढ रहे हैं। तुम ही तो मेरी आरजू है,     तुम्हें मुझे अपनी जुस्तजू बनाना है। ****************************************** तुम मेरे मोहब्बत-ए-कफस हो,     तुम ही मेरे इश्क के नशेमन हो।  मैं ही तुम्हारा सुखन वर हूं,      तुम्हीं मेरे अहले सुखन हो। ****************************************** मोहब्बत की राह भी जिद्दी है,      आशिकी भी जिद्दी है। देख ले कि प्यार में कितना दम है,     प्यार के हौसले भी जिद्दी है। ****************************************** तेरे आंखों में प्यार का खुमार है, मुझ में तो मोहब्बत का जुनून है। उल्फत को बरकरार रख जाने वफा, दिल का आइना झूठा नहीं जानेमन। ************************************************************************************                         एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम ...

झाड़े-झपटे यह कविता विनोद सिल्ला द्वारा लिखा गया है

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झाड़े-झपटे झाड़े-झपटे छोड़ के, पकड़ ज्ञान का राह। सभी-टोटके  फैल  हैं, तर्क  धरा  नै  बाह।। सही  करै  उपचार  तो, बच जावैगी जान। भूत  प्रेत  के  फेर  मै, पैसे  का  नुकसान।। स्याणे-सपटे मूढ हैं, अटल जाण ले साच। लोग तमाशा देखते, बाळ खोल मत नाच।। नहीं   पराई   ओपरी,  जाबक   मन  रोग। मान हरैं धन बी  ठगैं, सब कुछ लूटैं लोग।। पाखंडी  का   दीन   के,  पाखंडी   बेदीन। भैंस  कदे  ना  टूलती,  लाख बजाए बीन।। पाखंडां   तै   पार   पा, बेड़ा   होगा  पार। पाखंडां   मै  उळझ  के,  डूबैगा  मझधार।। सिल्ला देखे जगत मैं, ढाळ ढाळ  के ढोंग।  ढोंगी  रहवै  मौज  मैं, काम  करै सब रोंग।। -विनोद सिल्ला ******************************************                         एम एस केशरी प्र...

"वक्त" यह कविता शिखा चौरसिया द्वारा लिखी गई है

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                        शिखा चौरसिया "वक्त" क्या आज  मिलेगा जो कल नहीं था; समय- चक्र में कौन सा पल नहीं था। कभी खुशियों के मौसम में कोई गम नहीं था; कभी वीरानों में कोई हमदम नहीं था। जो आज है कब तक साथ रहेगा; आने वाले वक्त में कौन किसके पास रहेगा। कभी तड़पता है कभी मचलता है, कभी पतझड़ तो कभी बरसता है। तिनका- तिनका जोड़ रहें हैं आँखों में, पल- पल रेंत की तरह फिसलता है। आज तपिश कल नमीं, परसों ज्यादा फिर कमीं। ना जाने कब डोर खत्म हो जाए, फिर क्या आसमां और क्या जमीं। -शिखा चौरसिया ******************************************                         एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (बतौर संकलक) के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आप इस नंबर पर (6203124315) सन्देश भेज सकते हैं। अच्छे पैकेज एवं उच्चतम गुणवत्ता के साथ आपका मार्गदर्शन किया जाएगा, और ...

कॉन्सेप्ट ऑफ़ थ्री करे टेंशन फ्री यह कविता कृष्णा कुमार द्वारा लिखा गया है

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                        कृष्णा कुमार  कविता - कॉन्सेप्ट ऑफ़ थ्री करे टेंशन फ्री  थ्री का कॉन्सेप्ट जानो  पहले जाँचो - परखो फिर मानो  मानकर फिर अमल है करना  शुरू हो जायेगा आपका जीवन बदलना  दुःख - दर्द मिट जायेगा  स्वच्छ और निर्मल मन हो जायेगा   जो चाहोगे वो पाओगे  तन - मन - धन का सौगात मिलेगा  जर्जर - बंजर भूमि पर भी  फूल प्यार का खुब खिलेगा  सबसे आपको मान मिलेगा  मन चाहा सम्मान मिलेगा मन चाहा औहदा पाओगे  पवित्र - पावन घर - द्वार मिलेगा  नौकरी हो या कोई व्यवसाय  पढाई हो या हो अभिनय  सब कुछ में परिवर्तन आयेगा जीवन आपका निखर जायेगा अपनी बात मैं बताऊँ  किस्सा अपनी आज सुनाऊँ  जब तक इसका ज्ञान नहीं था  मन में बड़ा अभिमान भरा था  जब तक इसका ज्ञान नहीं था  तब तक अपना ध्यान नहीं था  जब तक इसका ज्ञान नहीं था  तब तक मान - सम्मान नहीं था जबसे इसका ज्ञान मिला है  पवित्र पावन संसार मिला है  जीवन '' Krishna '' क...

आदाब यह कविता आशी प्रतिभा द्वारा लिखी गई है

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                          आशी प्रतिभा आदाब मैं मोहब्बत पूरी करता अगर जिंदगी अधूरी न होती  मैं ख्वाइश पूरी करता सभी दरमिया अगर ये दूरी न होती  सोचता न तुझे हद से ज्यादा , अगर चाहत जरूरी ना होती।। करके फासला तूने हर पल मुझसे मुझे ही छीन लिया  । । अब क्या बचा इस तन्हाई में भी  मैने खुद से ही नाता तोड लिया ।। सोचता हूं अच्छा कटेगा अब सफ़र  क्योंकि हर इच्छा पूरी नहीं होती।। ©®आशी प्रतिभा         लश्कर,  ग्वालियर      मध्य प्रदेश भारत *****************************************                          एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (बतौर संकलक) के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आप इस नंबर पर (6203124315) सन्देश भेज सकते हैं। अच्छे पैकेज एवं उच्चतम गुणवत्ता के साथ आपका मार्...

जिंदगी कभी खट्टी तो कभी मीठी है'* यह कविता अजय वर्मा 'अजेय' लिखा गया हैं

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                                अजय वर्मा 'अजेय' *'जिंदगी कभी खट्टी तो कभी मीठी है'* स्वाद में जिंदगी, कभी खट्टी,तो कभी मीठी है। एहसास में जिंदगी, कभी फूलों की सेज, तो कभी दहकते अंगारों की अंगीठी है। वास्तव में जीवन के, हर पल की कीमत होती है। किसी की कमाई कम, तो किसी की मोटी है। लेकिन खानी सभी को ही रोटी है। प्रेम-मोहब्बत और विश्वास, जीवन में हैं खास। साहस,धीरज,उमंग और उत्साह, बढ़ाते हैं जीवन की आस। इज्जत देने से ही इज्जत मिलती है। न्यायोचित कर्म करने से ही, जिंदगी खिलती है। इन्सान की पूरी कमाई, चाहे बड़ी है, या छोटी है, काल के आगे सब खोटी है। मृत्यु-सुन्दरी जब जिंदगी को आगोश में लेती है, तो फेल हो जाती हर गोटी है। समझ लो 'अजय', साथ कुछ नहीं जाता, केवल कारनामों की चर्चा होती है।। ✍️अजय वर्मा 'अजेय' ******************************************                       एम एस केशरी प्रकाशन   यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आ...

कौतुक यह कविता सीमा शर्मा द्वारा लिखी गई है

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                      सीमा शर्मा  विषय -कौतुक बिखरी देख अनुपम छटा, प्रकृति की अद्भुत सुन्दरता। निहारता कौतुक मन-भर, महक उठता मेरा तन- मन।। फूल महकाए अपनी खुशबू से, पत्ता- पत्ता चहके जैसे। पादप लिए खुशबू बोर की, संदेशा दें नवजीवन की।। चंचल मन  कौतुक ऐसे, बाल रूप में कान्हा जैसे। पंख लगा पक्षी के घूमूँ, भंवरे की तरह फूलों को चूमू।। कलरव करूँ खग के जैसा, नृत्य करूँ मैं मयूर के जैसा। मन मेरा यूँ मचल रहा है, मेघ के जैसा घुमड रहा है।। बन जाऊँ नटखट की मुरलिया, छन- छन बाजू बन पैर पैजनिया। आज ना रोके रुक रहा मन, करूँ कौतुक यह सोच रहा मन।। मौलिक अथवा स्वरचित सीमा शर्मा - दिल्ली ******************************************                           एम एस केशरी प्रकाशन  यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (बतौर संकलक) के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आप इस नंबर पर (62...

महासिंधु यह कविता अलका शर्मा द्वारा लिखी गई है

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                        अलका शर्मा छंदमुक्त कविता: महासिंधु रे मन बावरे, सुनो ज़रा... थक गए होगे तुम भी अब बुनते-बुनते जाल। दूभर भी तो होगा ही जीवन शेष तुम्हारा, दिखा के असफ़ल माया से भरी जादूगरी, होगी विवशता तुम्हारी कोई। दग्ध तन को भस्मीकृत करने हेतु हुए होगे आतुर तुम कभी, मगर... कहां जानते थे तुम...? समझते थे पोखर तुम जिसे निकला वो तो वृहद महासिंधु। © अलका शर्मा ******************************************                       एम एस केशरी प्रकाशन    यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (बतौर संकलक) के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आप इस नंबर पर (6203124315) सन्देश भेज सकते हैं। अच्छे पैकेज एवं उच्चतम गुणवत्ता के साथ आपका मार्गदर्शन किया जाएगा, और आपका प्रकाशन संबंधी कार्य पूरा करने के लिए हर जरुरी जानकारी संपादक द्वारा आपको उपलब्ध कराई जाएगी। सभी प्रकाशित पुस्तके...

*उम्मीद का प्रभाव* यह कविता राजेश कुमार सोनार द्वारा लिखा गया है

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                       *राजेश कुमार सोनार*  *उम्मीद का प्रभाव* मधुकर सी आकार के आगे रहती जहां कहीं उम्मीद , उससे कहीं न कोई सुन्दर मन  में भी हो पाती जिद , जिसके साथ भी रहती है यह वो फिर कभी नहीं घबराता, इसके दामन को थामे वह सदा सफलताएं ही पाता, थम जाता आकाश सदा ही पाने से ही इसका साथ , पा जाने में लक्ष्य सभी के इसका ही होता है हाथ , सपने सारे सच हो जाएं जब तक इसका साथ रहे , इसका साथ रहा करने पर  ऊंचा निश्चित माथ रहे , जीवन उज्जवल रखने को जब इसे साथ तुम रख पाओगे, तब निश्चय ही सदा सफलताओं का स्वाद भी चख पाओगे। *राजेश कुमार सोनार* *सांईभूमि कालोनी* *बिलासपुर (छत्तीसगढ़)* ******************************************                           एम एस केशरी प्रकाशन   यदि आप सोलो बुक (एकल पुस्तक - इस पुस्तक में प्रकाशित सभी कविताएं आपकी स्वरचित आपके नाम से प्रकाशित की जाएंगी) करना चाहते हैं, या कंपाइलर (बतौर संकलक) के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आप इस...