तुम तुम हो और हम हम हैं = मुस्कान केशरी व्दारा लिखी कविता

 **तुम , तुम हो और हम, हम है **



हम, हम है, 

तुम,  तुम हो 

ना तुम हम से कम हो, 

ना हम तुम से कम है, 

फिर किस बात की गम है, 

हम, तुम की हर बात अनोखी है, 

जिसको कोई नही समझ सका , 

वही हम तुम है, 

जैसे :- तुम लीची हो, 

तो हम आम है, 

तुम मेढ़क हो, 

तो हम शेरनी हैं, 

तुम बैंगनी हो, 

तो हम आलु है, 

तुम बिमार हो, 

तो हम डाक्टर है, 

तुम बाइक हो, 

तो हम कार है, 

तुम झोपड़ी हो,

तो हम महल है, 

तुम जमीन हो, 

तो हम आसमान है, 

तुम नदी हो, 

तो हम समुद्र है, 

तुम प्यास हो, 

तो हम पानी है, 

तुम भूख हो, 

तो हम खाना है, 

तुम तीखे हो, 

तो हम मिठे है ,

तुम गरम हो, 

तो हम ठंडी है, 

तुम सूखे हो, 

तो हम भीगें है, 

तुम भक्षक हो, 

तो हम रक्षक है, 

तुम झूठ हो, 

तो हम सच है, 

तुम लड़का हो, 

तो हम लड़की है, 

तुम पुराने हो, 

तो हम नए है, 

तुम मछली हो, 

तो हम मुर्गा है, 

तुम चाय हो, 

तो हम काँफी है, 

तुम बेईमान हो, 

तो हम इमानदार है, 

तुम नौकर हो, 

तो हम मालिक है, 

तुम रावण हो, 

तो हम राम है, 

तुम मृत्यु हो, 

तो हम जीवन है, 

ये कोई अंतर नही, 

बल्कि हर चीज़ में बस बराबरी है, 

क्योकिं तुम,  तुम हो 

और हम,  हम है 

इसलिए तो अहंकार कम नहीं है।। 



मुस्कान केशरी 

मुजफ्फरपुर बिहार

एम एस केशरी प्रकाशन की संस्थापक 

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